Rahim Ke Dohe Class 9 Explanation In Hindi

Rahim Ke Dohe,” Explanation of The 7th Chapter Of The Class 9 Hindi Book “Sprash,” Written By Rahim . Making It An Essential Read For Class 9 Students. In This Article, We Provide A Detailed Explanation Of Rahim Ke Dohe.

पुस्तक:स्पर्श
कक्षा:9
पाठ:7
शीर्षक:दोहे
लेखक:रहीम

Rahim Ke Dohe Explanation In Hindi

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

व्याख्या:
इस दोहे में रहिमन प्रेम को एक धागे के समान मानते हैं, जो अत्यंत नाजुक और महत्वपूर्ण होता है। वे चेतावनी देते हैं कि प्रेम का धागा कभी भी न तोड़ें, क्योंकि एक बार टूटने के बाद इसे फिर से जोड़ना कठिन होता है। अगर धागा टूट जाए, तो उसे जोड़ने के लिए गाँठ लगानी पड़ती है, लेकिन उस गाँठ की वजह से धागा पहले जैसा सुगठित और मजबूत नहीं रह सकता। यह भावनात्मक स्थिरता और रिश्तों की संवेदनशीलता को बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाता है।

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि अठिलै हैं लोग सब, बॉटि न न लेह कोय।।

इस दोहे में रहिमन ने अपने मन की पीड़ा को व्यक्त किया है। वे बताते हैं कि भले ही लोग दूसरों की समस्याओं और पीड़ाओं को सुनते हैं, वे अपनी सोच और मानसिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं लाते। मन की गहराई और उसकी वास्तविक भावनाओं को केवल व्यक्ति का अपना मन ही समझ सकता है। बाहरी लोग उस पीड़ा को नहीं समझ सकते और न ही उसकी वास्तविकता को जान सकते हैं। यह व्यक्तिगत भावनाओं की गहराई और उनकी समझ की सीमा को दर्शाता है।

एकै साधे सब सधै सब साधे सर्व जाय।
रहिमन मूलहि सीचिबो, फूलै फलै अघाय।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में एकाग्रता और धैर्य के महत्व को स्पष्ट करते हैं। वे बताते हैं कि अगर किसी एक लक्ष्य या कार्य पर पूरी एकाग्रता और ध्यान केंद्रित किया जाए, तो सभी समस्याएँ और बाधाएँ सुलझाई जा सकती हैं। जैसे अगर मूल पर ध्यान दिया जाए और उसकी उचित देखभाल की जाए, तो वह सफलता और संतोष प्राप्त कर सकता है। यह दर्शाता है कि एकाग्रता और समर्पण के माध्यम से किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेस।
जा पर विपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में चित्रकूट की धार्मिक और पवित्र महत्ता को स्वीकारते हैं। वे बताते हैं कि जब भी किसी पर विपत्ति आती है, तो भगवान के विशिष्ट स्थान पर मदद और समाधान प्राप्त किया जा सकता है। चित्रकूट की पवित्रता और भगवान की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए, वे यह बताते हैं कि इस स्थान से कठिनाइयों का समाधान मिल सकता है। यह ईश्वर के संरक्षण और दिव्य सहायता की अवधारणा को उजागर करता है।

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट सिमिटि कूदि चढ़ि जाहि।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में दीर्घ दोहे के अर्थ और उसके सारगर्भित होने को समझाते हैं। वे बताते हैं कि दीर्घ दोहे में भले ही शब्द कम होते हैं, लेकिन उनके अर्थ में गहराई होती है। जैसे नट अपनी कला से दर्शकों को प्रभावित करता है, वैसे ही दीर्घ दोहे भी थोड़े शब्दों में गहरी बातें कह सकते हैं। यह शब्दों की गहराई और उनकी क्षमता को दर्शाता है।

धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय।
उदधिः बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।

व्याख्या:
रहिमन ने इस दोहे में पानी के महत्व को स्पष्ट किया है। वे कहते हैं कि पानी के बिना जीवन सूना और अंधकारमय होता है। पानी जीवन की एक बुनियादी आवश्यकता है और इसके बिना जीवन संभव नहीं है। यह पानी की अनिवार्यता और उसकी केंद्रीय भूमिका को दर्शाता है।

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में मानव और पशु की स्वभाविक प्रवृत्तियों की तुलना करते हैं। वे बताते हैं कि मृग (हिरण) अपनी ध्वनि से मोहग्रस्त हो जाता है, जबकि मनुष्य धन और अन्य लाभों के प्रति आकर्षित होता है। यह दिखाता है कि सांसारिक वस्तुएँ और उनका महत्व मनुष्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो पशुओं से अधिक समझदार है।

बिगरी बात बनै नहीं, लाख करी किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में बताते हैं कि एक बार जो बात बिगड़ जाती है, उसे सुधारना कठिन होता है। जैसे फटे दूध को मथने से माखन नहीं बन सकता, वैसे ही जब कोई स्थिति बिगड़ जाती है तो उसे ठीक करना असंभव होता है। यह स्थायी बिगाड़ और उसकी मरम्मत की कठिनाई को दर्शाता है।

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।

व्याख्या:
रहिमन इस दोहे में वस्तुओं और उनके उपयोग की उपयुक्तता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि बड़े लोगों को सम्मान देना चाहिए और छोटी चीजों के लिए बड़ी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। जैसे सूई छोटी चीजों के लिए उपयोगी होती है, न कि तलवार। यह दिखाता है कि उपयोग की उपयुक्तता और सटीकता महत्वपूर्ण है।

रहिमन निज संपति बिना, कोउ न विपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय।।

व्याख्या:
रहिमन ने इस दोहे में बताया है कि अपनी सम्पत्ति और संसाधनों के बिना किसी भी विपत्ति का सामना करना कठिन होता है। जैसे जलज (कमल) पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता, वैसे ही बिना संसाधनों के कठिनाइयों को दूर करना संभव नहीं होता। यह संसाधनों की अहमियत और उनकी भूमिका को दर्शाता है।

रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरें, मांती, मानुष, चून।।

व्याख्या:
इस दोहे में रहिमन पानी के महत्व को दर्शाते हैं। वे बताते हैं कि पानी के बिना सब कुछ सूना और निरर्थक हो जाता है। पानी जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसके बिना कोई भी चीज टिक नहीं सकती, चाहे वह व्यक्ति हो या प्राकृतिक संसाधन। यह पानी की केंद्रीय भूमिका और उसकी महत्वता को उजागर करता है।

रहिम के दोहे पाठ का सारांश:

रहिम के दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं की गहरी समझ प्रदान करते हैं। वे प्रेम की स्थिरता को एक धागे के रूप में दर्शाते हैं, जिसे टूटने से बचाना चाहिए क्योंकि टूटे हुए धागे को फिर से जोड़ना कठिन होता है और गाँठ लगाकर जोड़ने से उसकी मूल स्थिति वापस नहीं आती। इसके अतिरिक्त, रहिम मानते हैं कि मन की गहराई और पीड़ा केवल व्यक्ति के अपने मन द्वारा ही समझी जा सकती है, बाहरी लोग उसकी वास्तविकता को पूरी तरह से नहीं समझ सकते।

रहिम का एक अन्य महत्वपूर्ण विचार एकाग्रता और धैर्य की महत्वता को लेकर है। उनका कहना है कि यदि किसी कार्य या लक्ष्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित किया जाए, तो सभी समस्याएँ सुलझाई जा सकती हैं। जैसे पौधे की सही देखभाल करने से वह अच्छा फल-फूल सकता है, वैसे ही किसी लक्ष्य की उचित देखभाल से सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे पानी के महत्व को भी स्पष्ट करते हैं, यह दर्शाते हुए कि पानी के बिना जीवन सूना और अंधकारमय होता है। पानी जीवन की आवश्यकताओं के लिए अनिवार्य है। इसके साथ ही, रहिम ने वस्तुओं की उपयुक्तता और बिगड़ी हुई स्थितियों के ठीक होने की कठिनाई पर भी विचार किया है। इन दोहों के माध्यम से रहिम ने जीवन की सच्चाइयों और भावनात्मक स्थिरता के महत्व को उजागर किया है।

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